p17 Protokoll zum 03.12.21
Zeit: 19:00 bis 10:30 Uhr - Ort: online
Anwesend: Caren, Holger, Friedrich
Wir waren alle drei schlecht vorbereitet und hoffen, dass das demnächst wieder besser werden kann.
Ich habe mich vor allem in Z. 38 schwer getan, weil ich die dortige Ellipse nicht erkannt habe; so musste meine Suche nach dem Hauptsatz ins Leere laufen. Dabei ist es ganz einfach so.
1 | μετὰ δὲ τοῦτο | Danach | |
2 | ἀπεδήμησά τε | fuhr ich nach Hause | |
3 | καὶ πάλιν ἀφικόμην | und kam <doch> wieder zurück, | |
4 | πάσῃ σπουδῇ μεταπεμπομένου Διονυσίου· | weil Dionysios mit ganzem Eifer nach mir schickte. | |
5 | ὧν δὲ ἕνεκα καὶ ὅσα ἔπραξα, | Weswegen ich aber handelte und was alles ich tat, | |
6 | ὡς εἰκότα τε καὶ δίκαια, | und zwar angemessen[es] und richtig[es] | |
7 | ὑμῖν πρῶτον μὲν συμβουλεύσας | werde ich euch, nachdem ich zuvor geraten habe, | |
8 | ἃ χρὴ ποιεῖν ἐκ τῶν νῦν γεγονότων, | was aufggrund der jetzigen Lage zu tun ist, | |
9 | ὕστερον τὰ περὶ ταῦτα διέξειμι, | später <alles>, was dazu gehört, berichten, | |
10 | τῶν ἐπανερωτώντων ἕνεκα | derjenigen wegen, die immer wieder fragen, | |
11 | τί δὴ βουλόμενος ἦλθον τὸ δεύτερον, | mit welcher Absicht ich zum zweiten Mal kam, | |
12 | ἵνα μὴ τὰ πάρεργα ὡς ἔργα μοι συμβαίνῃ λεγόμενα. | damit es mir nicht unterläuft, dass ich die Nebendinge als Hauptsache erzähle. | |
13 | Neu |
| |
14 | λέγω δὴ τάδε ἐγώ — | Ich sage nun folgendes: | |
15 | τὸν συμβουλεύοντα ἀνδρὶ | Derjenige, der einen Mann berät, | |
16 | κάμνοντι | der krank ist | |
17 | καὶ δίαιταν διαιτωμένῳ [330δ] μοχθηρὰν πρὸς ὑγίειαν | und eine für die Gesundheit schlechte Lebensführung hat, | |
18 | ἄλλο τι[i] | nicht wahr, | |
19 | χρὴ πρῶτον μὲν | muss zuerst zwar | |
20 | μεταβάλλειν τὸν βίον, | <dessen> Lebensweise ändern, | |
21 | καὶ ἐθέλοντι μὲν πείθεσθαι | und wenn er [zwar] folgen will, | |
22 | καὶ τἆλλα ἤδη παραινεῖν· | nun auch das Übrige anempfehlen, | |
23 | μὴ ἐθέλοντι δέ | wenn er aber nicht will, | |
24 | φεύγοντα ἀπὸ | möchte ich einen, der Abstand nimmt von | |
25 | τῆς τοῦ τοιούτου συμβουλῆς | der Beratung eines solchen Menschen, | |
26 | ἄνδρα τε ἡγοίμην ἂν | wohl für einen Mann halten | |
27 | καὶ ἰατρικόν, | und für einen Heilkundigen, | |
28 | τὸν δὲ ὑπομένοντα | denjenigen aber, der dabei bleibt, | |
29 | τοὐναντίον[ii] | ganz im Gegenteil | |
30 |
| unmännlich und unkundig. | |
31 | ταὐτὸν δὴ καὶ πόλει, | Dasselbe gilt nun auch für eine Stadt, | |
32 | εἴτε αὐτῆς εἷς εἴη κύριος | sei es dass ein einziger über sie Herr ist | |
33 | εἴτε καὶ πλείους, | sei es auch, dass viele: | |
34 | εἰ μὲν κατὰ τρόπον[iii] | wenn sie, während ´ihre Verfassung` gewissermaßen | |
35 | ὀρθῇ πορευομένης ὁδῷ τῆς πολιτείας | °° auf dem richtigen Weg geht, | |
36 | συμβουλεύοιτό [330ε] τι | um Rat fragt nach etwas | |
37 | τῶν προσφόρων, | von Nutzen, | |
38 | νοῦν ἔχοντος[iv] | ist es Aufgabe eines, der Verstand hat, | |
39 | τὸ τοῖς τοιούτοις συμβουλεύειν· | den so Eingestellten zu raten; | |
40 | τοῖς δ᾽ ἔξω τὸ παράπαν βαίνουσι | Denen aber, die gänzlich außerhalb °° | |
41 | τῆς ὀρθῆς πολιτείας | der richtigen Verfassung ´gehen` | |
42 | καὶ μηδαμῇ ἐθέλουσιν | und keínesfalls °° | |
43 | αὐτῆς εἰς ἴχνος ἰέναι, | in ihre Spur gehen ´wollen`, | |
44 | προαγορεύουσιν δὲ τῷ συμβούλῳ | die aber dem Ratgeber vorher ankündigen, | |
45 | τὴν μὲν πολιτείαν ἐᾶν | die Verfassung einerseits zu lassen | |
46 | καὶ μὴ [331α] κινεῖν, | und nicht anzurühren, | |
47 | ὡς ἀποθανουμένῳ | da er getötet werde, | |
48 | ἐὰν κινῇ, | wenn er sie anrührt, | |
49 | ταῖς δὲ βουλήσεσιν καὶ ἐπιθυμίαις αὐτῶν | <wenn sie ihn> andererseits aber ihre Absichten und Wünsche | |
50 | ὑπηρετοῦντα | unterstützend | |
51 | συμβουλεύειν κελεύοιεν, | zu raten auffordern sollten, | |
52 | τίνα τρόπον γίγνοιτ᾽ ἂν | auf welche Weise es wohl °° | |
53 | ῥᾷστά τε καὶ τάχιστα | am leichtesten und schnellsten | |
54 | εἰς τὸν ἀεὶ χρόνον, | für immerwährende Zeit ´geschehen könnte` | |
55 | τὸν μὲν ὑπομένοντα | <dann> dürfte ich denjenigen, der °° | |
56 | συμβουλὰς τοιαύτας | solche Beratungen ´beibehält`, | |
57 | ἡγοίμην ἂν ἄνανδρον, | wohl für feige halten, | |
58 | τὸν δ᾽ οὐχ ὑπομένοντα | den aber, der nicht dabei bleibt, | |
59 | ἄνδρα. | für einen <tapferen> Mann. | |
60 | ταύτην δὴ τὴν διάνοιαν | Diese Einstellung also | |
61 | ἐγὼ κεκτημένος, | habe ich erworben, und | |
62 | ὅταν τίς μοι συμβουλεύηται | wenn jemand mich um Rat fragt | |
63 | περί τινος τῶν μεγίστων | über eines der wichtigsten Dinge | |
64 | περὶ τὸν αὑτοῦ βίον, | in seinem Leben | |
65 | οἷον | wie | |
66 | περὶ χρημάτων κτήσεως [331β] | über Gelderwerb | |
67 | ἢ περὶ σώματος | oder über Körper- | |
68 | ἢ ψυχῆς ἐπιμελείας, | oder Seelenpflege, | |
69 | ἂν μέν μοι | wenn er mir dabei | |
70 | τὸ καθ᾽ ἡμέραν | täglich | |
71 | ἔν τινι τρόπῳ δοκῇ ζῆν | in bestimmter Weise zu leben scheint | |
72 | ἢ συμβουλεύσαντος[v] ἂν | oder - falls ich Rat gäbe - | |
73 | ἐθέλειν πείθεσθαι | befolgen zu wollen <scheint>, | |
74 | περὶ ὧν ἀνακοινοῦται, | worüber er mich heranzieht, | |
75 | προθύμως συμβουλεύω | <dem> rate ich bereitwillig, | |
76 | καὶ οὐκ ἀφοσιωσάμενος μόνον | und werde, nicht wie einer, der sich nur gottgefällig verhaalten hat, | |
77 | ἐπαυσάμην. | <damit> aufhören. (gnomischer Aorist) | |
78 | ἐὰν δὲ μὴ συμβουλεύηταί μοι τὸ παράπαν | Wenn er mich aber überhaupt nicht um Rat fragt | |
79 | ἢ συμβουλεύοντι δῆλος ᾖ | oder dem Ratenden offensichtlich ist, | |
80 | μηδαμῇ πεισόμενος, | dass er keinesfalls folgen wird, | |
81 | ἐπὶ τὸν τοιοῦτον | auf den, der so ist, | |
82 | οὐκ ἔρχομαι συμβουλεύσων, | gehe ich nicht zu, um ihm zu raten, | |
83 | βιασόμενος δὲ | und nicht, um ihn zu zwingen, | |
84 | οὐδ᾽ ἂν ὑὸς ᾖ μου. | auch nicht, wenn er mein Sohn wäre. | |
85 | δούλῳ δὲ συμβουλεύσαιμ᾽ ἂν | Einem Sklaven aber könnte ich wohl raten | |
86 | καὶ μὴ ἐθέλοντά γε | und, wenn er gar nicht will, | |
87 | προσβιαζοίμην· [331ξ] | <ihn> dazu zwingen. | |
88 | πατέρα δὲ ἢ μητέρα | Vater oder Mutter aber ´dazu zu zwingen` | |
89 | οὐχ ὅσιον ἡγοῦμαι | halte ich nicht für gottgefällig | |
90 | προσβιάζεσθαι | °°, | |
91 | μὴ νόσῳ παραφροσύνης ἐχομένους, | wenn sie nicht an Geistesschwäche erkrankt sind, | |
92 | ἐὰν δέ τινα καθεστῶτα ζῶσι βίον, | wenn sie aber eine feststehende Lebensgewohnheit haben, | |
93 | ἑαυτοῖς ἀρέσκοντα, | die ihnen gefällt, | |
94 | ἐμοὶ δὲ μή, | mir aber nicht, | |
95 |
| <dann gilt (oder ähnlich)> | |
96 | μήτε ἀπεχθάνεσθαι | ihnen einerseits nicht lästig zu werden, | |
97 | μάτην νουθετοῦντα | mit vergeblichem Ermahnen, | |
98 | μήτε δὴ κολακεύοντά γε | und ´ihnen` andererseits nicht gar schmeichelnd | |
99 | ὑπηρετεῖν αὐτοῖς, | °° zu helfen | |
100 | πληρώσεις ἐπιθυμιῶν ἐκπορίζοντα | und die Erfüllung von Wünschen zu ermöglichen, | |
101 | ἃς αὐτὸς ἀσπαζόμενος | die bevorzugend (mit denen) ich selbst | |
102 | οὐκ ἂν ἐθέλοιμι ζῆν. | wohl nicht würde leben wollen. |
Nächster Termin: 1x.12.2021
Leider habe ich übersehen, dass ich am Freitagabend die Online-Mitgliederversammlung der Krawatte habe. Passt Euch Sonnabendnachmittag oder Sonntagmorgen besser?
Vorbereitung:
Vielleicht nochmal Wiederholung von p14_Vokabeln.
Auf jeden Fall p17_Vokabeln. Die p18_Vokabeln muss ich noch zusammenstellen. Ich gebe Bescheid, wenn sie hochgeladen sind.
Dann bitte p17_Aufgabe zum 1x.12. Aber nur so viel, wie Ihr Zeit habt.
Ich werde von der Gängelung durchs sukzessive Freigeben der Textelemente wieder Abschied nehmen. Beim Übersetzen in Tabellenform bleibt aber die dringende Bitte bestehen, wirklich der Reihe nach zu übersetzen.
[i] ἄλλο τι χρή erg. ποιεῖν ἤ (phraseologisch fragend): muss <er> anderes tun als ...?/ <er> muss doch wohl ...
[ii] τοὐναντίον adv.Akk.
[iii] κατὰ τρόπον gemäß einer Wendung > hier = gemäß einer Redewenung/ gewissermaßen
[iv] νοῦν ἔχοντος elliptisch
[v] συμβουλεύσαντος als Subj.Genetiv hierzu ist ἐμοῦ zu denken